ध्यान साधना द्वारा अपने भीतर प्रभु सक्षातकार होना संभव है: -स्वामी वेदात्मवेश

शौर्य, वीरता की गाथाएं सुनाकर श्रोताओं में देशभक्ति का जज़्बा भरा: -स्वामी शिवानन्द

हमें संगठित होकर अंधविश्वास,पाखण्ड को दूर करना होगा: -चन्द्र पाल शास्त्री

ग़ाज़ियाबाद : बृजेश कुमार। बुधवार 28 फरवरी को आर्य समाज मन्दिर कविनगर में भारत के महान सपूत महाराणा प्रताप के राज्याभिषेक के उपलक्ष्य में यज्ञ एवं यशोगाथा का आयोजन किया गया। यज्ञ के ब्रह्मा एवं मंच संचालक प्रमोद शास्त्री रहे। उन्होंने कहा यज्ञ हमें समर्पण की भावना सिखाता है। मुख्य यज्ञमान सुमन चौहान एवं लक्ष्मण चौहान रहे।

भजनोपदेशक राजकुमार शास्त्री, आचार्य सोम प्रताप शास्त्री, राजेन्द्र कुमार एवं प्रवीण आर्य ने ईशभक्ति, महाराणा प्रताप गुणगान को गीतों के माध्यम से सुनाकर भावविभोर कर दिया।

समाज के प्रधान वीके धामा ने आमंत्रित विद्वानों का पीत वस्त्र ओढ़ाकर स्वागत किया।

बैंगलोर से पधारे स्वामी वेद आत्मवेश ने ओम का गुंजार कर कहा कि मृग की नाभी में कस्तूरी है लेकिन उसकी खुशबू को सूंघ कर उसे पाने के लिए वह विभिन्न स्थानों पर भटकता है। इसी प्रकार ईश्वर हमारे भीतर है लेकिन हम भी उसे पाने के लिए बाहर खोजते हैं। वह आनंद का अथाह भण्डार है। ध्यान साधना द्वारा अपने भीतर उससे सक्षातकार होना संभव है। वही हमारा तीनों कालों में सच्चा साथी और मित्र है।

स्वामी शिवानन्द सरस्वती ने महाराणा प्रताप के राज तिलक दिवस पर उनके शौर्य, वीरता की गाथाएं सुनाकर श्रोताओं में  देशभक्ति का जज़्बा भर दिया।उन्होंने आगे कहा हम किसी को छेड़ते नहीं और भाई कोई हमें छेड़े तो उसे छोड़ते भी नहीं हैं। हमारे सुरक्षित भविष्य के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना चाहिए। आत्म रक्षा, देश रक्षा, धर्म रक्षा, बहन बेटियों एवं गाय की रक्षा के लिए संयासियों को भी सुरक्षा के साधन संभाल लेने चाहिए। देश की आजादी के लिए 1857 से 1947 तक 732680 जवानों को फांसी लगी बलिदान हुए थे। वे सब स्वामी दयानंद कृत अमर ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश से प्रभावित होकर आजादी के आंदोलन में कूदे थे।

वैदिक विद्वान आचार्य चन्द्र पाल शास्त्री ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि महाराणा प्रताप का राज्याभिषेक दिवस मनाना तो प्रतीकात्मक है, देश पर जो संकट है उससे कैसे निपट सकते हैं? उस पर चर्चा है। प्रताप के गुणों चरित्र, विवेक, स्वाभिमान को अपनाना होगा। उनकी हार का कारण पाखण्ड और अंधविश्वास था। आज उसे दूर करने की आवश्यकता है। हमें संगठित होकर अंधविश्वास, पाखण्ड को दूर करना होगा। राष्ट्र भक्त बनने के साथ वेदाध्यान करना होगा।

आर्य समाज के मंत्री आलोक राघव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ प्रमोद सक्सेना, आशा रानी आर्या, हरवीर सिंह, विनोद प्रकाश अग्रवाल, यज्ञवीर चौहान, संजीव आर्य, प्रेम पाल शर्मा, विजय कुमार (स्वतंत्रता सेनानी), वेद प्रकाश तोमर आदि उपस्थित रहे।

शांतिपाठ एवं ऋषि लंगर के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।




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