🙏जय श्री राधे कृष्णा 🙏 


आज का ये श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता के अट्ठारहवें अध्याय 'मोक्षसंन्यासयोग से ही ..


सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज ।

अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः ॥

(अध्याय 18, श्लोक 66)


इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्णा कहते हैं) - संपूर्ण धर्मों को अर्थात संपूर्ण कर्तव्य कर्मों को मुझमें त्यागकर तू केवल एक मुझ सर्वशक्तिमान, सर्वाधार परमेश्वर की ही शरण में आ जा। मैं तुझे संपूर्ण पापों से मुक्त कर दूँगा, तू शोक मत कर। 


शुभ रविवार !  


पुनीत माथुर, 

ग़ाज़ियाबाद।

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