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🙏जय श्री राधे कृष्णा 🙏 


मित्रों आज के ये दो श्लोक भी श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय सत्रह 'श्रद्धात्रयविभागयोग' से ही लिए हैं । आज के श्लोकों में भगवान श्री कृष्णा 'ॐ' का महत्व बता रहे हैं ....


ॐतत्सदिति निर्देशो ब्रह्मणस्त्रिविधः स्मृतः ।

ब्राह्मणास्तेन वेदाश्च यज्ञाश्च विहिताः पुरा ॥

(अध्याय 17, श्लोक 23)


इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से बोले) - ॐ, तत्‌, सत्‌-ऐसे यह तीन प्रकार का सच्चिदानन्दघन ब्रह्म का नाम कहा है, उसी से सृष्टि के आदिकाल में ब्राह्मण और वेद तथा यज्ञादि रचे गए। 


तस्मादोमित्युदाहृत्य यज्ञदानतपःक्रियाः ।

प्रवर्तन्ते विधानोक्ताः सततं ब्रह्मवादिनाम् ॥

(अध्याय 17, श्लोक 24)


इस श्लोक का भावार्थ : (श्री भगवान्‌ बोले) -  इसलिए वेद-मन्त्रों का उच्चारण करने वाले श्रेष्ठ पुरुषों की शास्त्र विधि से नियत यज्ञ, दान और तपरूप क्रियाएँ सदा 'ॐ' इस परमात्मा के नाम को उच्चारण करके ही आरम्भ होती हैं।


आपका दिन शुभ हो ! 


पुनीत माथुर  

ग़ाज़ियाबाद।

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