🙏राधे राधे 🙏
आप सभी को प्रणाम मित्रों !
मित्रों आज का श्लोक भी मैंने श्रीमद्भगवद्गीता के छठे अध्याय 'आत्मसंयम योग' से ही लिया है।
यं संन्यासमिति प्राहु-र्योगं तं विद्धि पाण्डव।
न ह्यसंन्यस्तसंकल्पो योगी भवति कश्चन॥
(अध्याय 6, श्लोक 2)
इस श्लोक का अर्थ है : (भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं) हे अर्जुन! जिसको संन्यास कहते हैं, उसी को तुम योग जानो क्योंकि संकल्पों का त्याग न करने वाला कोई भी पुरुष योगी नहीं होता।
आपका दिन शुभ हो !
पुनीत कृष्णा
ग़ाज़ियाबाद
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