नई दिल्लीः पुनीत माथुर। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को बांबे हाईकोर्ट में छोटा राजन की जमानत अर्जी का विरोध किया और कहा कि इस गैंगस्टर के मन में देश के कानूनों के प्रति कोई सम्मान नहीं है। 

विशेष सरकारी वकील प्रदीप घराट ने न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की अध्यक्षता वाली एक पीठ से कहा कि राजन के विरूद्ध कई मामले लंबित हैं और उसे कई अन्य मामलों में दोषी करार दिया गया है एवं सजा सुनायी गयी है। 

उन्होंने यह कहते हुए उच्च न्यायालय से राजन को जमानत नहीं देने की अपील की कि वह ‘ जेड प्लस सुरक्षा खतरा’ है । उन्होंने कहा कि राजन भारत से भाग गया और आखिरकार नवंबर 2015 में गिरफ्तार करके भारत लाये जाने से पहले उसने नकली नामों एवं फर्जी पासपोर्ट पर कई देशों की यात्रा की। राजन को 2015 को इंडोनेशिया से प्रत्यर्पित किया गया था और तब से वह नयी दिल्ली की तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में है। घराट राजन के अंतरिम आवेदन का विरोध करते हुए न्यायालय में दलीलें रख रहे थे। 

राजन ने एक होटल मालिक की हत्या की कोशिश के मामले में जमानत का अनुरोध किया है। राजन को 2019 में मुंबई की एक विशेष अदालत ने महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत एक मामले में आठ साल की कैद की सजा सुनायी थी। लेकिन राजन के वकील सुदीप पासबोला ने उच्च न्यायालय से कहा कि इस मामले में गैंगस्टर के विरूद्ध भरोसेमंद सबूत नहीं है।

उन्होंने अपने मुवक्किल की ओर से कहा, ‘‘ मुझे बस साजिश के आरोप में दोषी करार दिया गया। इस मामले के सभी अन्य आरोपी , उनमें वे भी शामिल है जो असली हमलावर थे, को जमानत पर छोड़ दिया गया है, इसलिए मैं भी समानता का हकदार हूं।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे खिलाफ सीधा सबूत नहीं है। केवल दो गवाहों के कनसुनी बयान, जो उनके निजी जानकारी पर आधारित नहीं है, का मेरे विरूद्ध सबूत के रूप में हवाला दिया गया है। उनका बयान उनके सह आरोपी, जो फरार चल रहे हैं, द्वारा दी गयी सूचना पर आधारित है। ’’ इस पर घराट ने उच्च न्यायालय से कहा कि राजन अप्रैल, 2016 से सीबीआई हिरासत में था जबकि उसके सह आरोपी, जिन्हें जमानत दी गयी है, वे 2009 से हिरासत में थे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा राजन के विरूद्ध 14-15 मामले लंबित हैं।

न्यामयूर्ति प्रभुदेसाई ने सीबीआई को इस मामले की प्राथमिकी, गवाहों के इकबालिया बयान एवं राजन की अपराधिक पृष्ठभूमि का ब्योरे की प्रति अदालत में सौंपने का निर्देश दिया। दो सप्ताह के बाद मामले की अगली सुनवाई होगी।


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