नयी दिल्ली: तीन तलाक का मुद्दा पिछले कुछ समय से देश की राजनीति में सुर्खियों में है। मुस्लिम समाज में एक बार में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से जुड़़ा नया विधेयक सरकार शुक्रवार को लोकसभा में पेश करेगी। लोकसभा से जुड़ी कार्यवाही सूची के मुताबिक 'मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2019' लोकसभा में पेश किया जाएगा।
पिछले महीने 16 वीं लोकसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद पिछला विधेयक निष्प्रभावी हो गया था क्योंकि यह राज्यसभा में लंबित था।दरअसल, लोकसभा में किसी विधेयक के पारित हो जाने और राज्यसभा में उसके लंबित रहने की स्थिति में निचले सदन (लोकसभा) के भंग होने पर वह विधेयक निष्प्रभावी हो जाता है।
सरकार ने सितंबर 2018 और फरवरी 2019 में दो बार तीन तलाक अध्यादेश जारी किया था. इसका कारण यह है कि लोकसभा में इस विवादास्पद विधेयक के पारित होने के बाद वह राज्यसभा में लंबित रहा था।
मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अध्यादेश, 2019 के तहत तीन तलाक के तहत तलाक अवैध, अमान्य है और पति को इसके लिए तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है।
जेडीयू ने तीन तलाक पर साफ कर दिया है अपना रुख
वहीं हाल ही में जेडीयू ने कहा कि पार्टी इस बिल का समर्थन नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि हमने एक कामन एजेंडे पर आगे बढ़ने की बात कही थी। हम ये मानते हैं कि सरकार की तरफ से कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए जो संविधान के आदर्शों के खिलाफ हो। संविधान की मूल भावना को उनकी पार्टी समर्थन करती है और बीजेपी से अपेक्षा है कि वो इस तरह की मर्यादा का ख्याल करेंगे।
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