दिल्ली : बृजेश श्रीवास्तव। आशा, विश्वास, प्रेम, समर्पण और गरिमा से जिसे सजाया गया है, जो भविष्य को सोच कर आशावादी नजरिये के साथ बिना डर के खुशी से हंसती है। धरती पर महिलाओं के बिना जीवन की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती। यूं तो हर दिन और हर पल ही महिला का है जो मानव जाति की जननी है और समाज की आधार शिला है।

नारी को सम्मान देने तथा उनकी उपलब्धियों का आदर करने तथा उनके समर्पण को मुल्य प्रदान करने के लिए हर वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।

आज हम ऐसी ही एक शख्सियत के बारे में बात करेंगे। आज हम महिला दिवस पर ऐसी महिला के बारे में बात करेंगे जिनके बारे में जानकर आपको अहसास होगा कि जीवन में अच्छा काम करने के लिए हर वक्त सही वक्त होता है।

आपको बता दे श्वेता जो नेशनल साइक्लिंग चैंपियनशिप में कई पुरस्कार स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। उन्होंने जीवन में करीब 12 वर्ष की आयु से स्पोर्ट्स स्टार्ट किया l श्वेता ने स्पोर्ट्स में बहुत मेहनत और कठिन प्रशिक्षण किया है ।

श्वेता को उनके पिता डॉ मोहन सिंह चौधरी ने एन आई एस पटियाला में साइकिलिंग चैंपियनशिप के लिये ट्रेनिंग दी थी। डॉ मोहन सिंह चौधरी भारतीय खेल प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारी के रूप मे रिटायर हो गए हैं।

श्वेता का कहना है कि हार्ड टास्क मास्टर की बेटी होना आसान नहीं था। मेरे पिता कहते हैं, मेहनत और अनुशासन सफलता की कुंजी है। एक हीरा चमकता है जब यह कठिनाइयों का सामना करता है।

जीवन में परिश्रम का महत्व बचपन में ही सीख लिया, साइकिलिंग नेशनल चैंपियनशिप में पदक प्राप्त करने के लिए ध्यान केंद्रित कर, फोकस के साथ पूरी निष्ठा से सम्पूर्ण समर्पण और अनुशासन  के साथ मेहनत से ट्रेनिंग की और राष्ट्रीय चैंपियनशिप में कई  पदक जीते।

विवाह के बाद जीवन में अपनी नई जिम्मेदारी को निभाने में व्यस्त हो गई। एक रक्षा परिवार से होने के नाते वह अनुशासन और अखंडता की एक मिसाल बनकर अपना जीवन बिताती हैं।

अपने मधुभाषी और सौम्य व्यवहार से सबका मन जीत लेती हैं। फैशन के क्षेत्र की बात करें तो वे एक रोल मॉडल के रूप में नया मुकाम हासिल कर चुकी हैं।

वह स्टारलाइफ मिस्टर एंड मिस इंडिया, मिस्टर एंड मिस एशिया इंटरनेशनल, वीएए मिस एंड मिसेज इंडिया आदि जैसे प्रसिद्ध प्रतियोगिताओं और फैशन शोज में जूरी और मेंटर के रूप में जाती हैं  जहां देश के विभिन्न हिस्सों से प्रतियोगी आते हैं। 

अपनी स्पोर्ट्स एंड फैशन फील्ड की उपलब्धियों को उन्होंने बहुत ही अच्छी तरह से लोगों में जाग्रता और प्रेरणा का माध्यम बनाया।

फैशन शो में जब वो युवाओं से मिलती हैं, तब उन्हें जोश के साथ अनुशासन व मेहनत, लक्ष्य को प्राप्त करने के साथ धैर्य, देश और समाज के प्रति युवाओं की भागीदारी और एक अच्छा नागरिक होने के नाते ज़िम्मेदारी, शिक्षा के साथ ज्ञान और अनुभव के बैलेंस का महत्व भी बताती हैं।

वह फैशन के क्षेत्र में होने के साथ साथ प्रतिभागियों में जागरूकता भी लाती हैं कि शारीरिक फिटनेस, भावनात्मक और मानसिक भलाई का ख्याल रखना बहुत महत्वपूर्ण है। 

स्वास्थ्य की देखभाल करने और जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण रखने के बारे में जागरूकता लाने का उनका निरंतर प्रयास सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को दर्शाता है जिसकी काफी सराहना की जाती है।

अपनी उपलब्धियों को केवल सामाजिक कल्याण और भलाई की निस्वार्थ भावना ही उन्हें सबसे खास बनाती है।

उनकी इसी निस्वार्थ प्रकृति के कारण वो समाज में एक रोल मॉडल हैं। जिन्हें शक्ति फिल्म प्रोडक्शंस ने यूथ आइकन के तौर पर सम्मानित भी किया है।

वह कहती हैं कि आज वह जो कुछ भी हैं, वह सब अपने माता-पिता की वजह से हैं। उन्होंने जीवन के जिन मूल्यों को सिखाया है और जीवन में कठिनाइयों को होंसले से पार करने के लिए लड़ने की भावना ने उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में मदद की है।

श्वेता का कहना है कि एक महिला अपनी जिंदगी में कई भूमिकाएं निभाती है। नारी हमेशा से सशक्तिकरण की प्रतीक रही है। सशक्त नारी एक मजबूत समाज बनाती है। 

वह कहती हैं कि वह बचपन के दिनों में रानी लक्ष्मीबाई, महारानी पद्मावती और अहिल्या बाई होल्कर जैसी हमारे देश की महान योद्धा महिला की कहानियां सुनती रही हैं जिसने मुझे हमेशा गर्व और सशक्तिकरण का बोध कराया है। 

नारी तू नारायणी चलता तुझसे ही संसार है 

है नाजुक और सुंदर तू कितनी 

तुझमें ओजस्विता और सहजता का श्रृंगार है 

नारी तू नारायणी 

हमारे देश की परंपरा रही है और श्वेता सिंह चौधरी इस पर दृढ़ विश्वास रखती हैं।  

श्वेता का कहना है कि मैं अभिभूत हूं और मेरा दिल उन सभी लोगों के लिए कृतज्ञता से भर गया है जिन्होंने उनके प्रयासों की सराहना की है । 

यह मेरे लिए सम्मान की बात है। इससे मुझे काफी उत्साह मिला है, मैं और अधिक उत्साह के साथ काम करुँगी ।

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