जय श्री राधे कृष्ण🌹🙏 


मित्रों आज प्रस्तुत है श्रीमद्भगवद्गीता के दसवें अध्याय 'विभूति योग' से यह बहुत सुंदर श्लोक  .....


एतां विभूतिं योगं च मम यो वेत्ति तत्त्वतः ।

सोऽविकम्पेन योगेन युज्यते नात्र संशयः ॥ 

(अध्याय 10, श्लोक 7)


इस श्लोक का भावार्थ : (भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कह रहे हैं )-जो मनुष्य मेरी इस विशेष ऎश्वर्य-पूर्ण योग-शक्ति को तत्त्व सहित जानता है, वह स्थिर मन से मेरी भक्ति में स्थित हो जाता है इसमें किसी भी प्रकार का सन्देह नहीं है। 


सुप्रभात ! 


पुनीत कुमार माथुर  

ग़ाज़ियाबाद

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